
नमस्कार में रक्षा “मिर्ज़ापुर” से जज़्बातों के शहर मिर्ज़ापुर हां मैंने अपने शहर पर एक छोटी सी दास्तां लिखी है “भरोसा” हमारी जिंदगी के रिश्ते रूपी हर पिंजड़े में एक चिड़िया कैद है जिसका नाम है “भरोसा” और अगर एक बार ये चिड़िया उड़ गई ना तो इसका लौटना उतना ही मुश्किल तो चलिए जानते है की Bharosa Love Story में भरोसे का क्या महत्व है।
संकेत और श्रेया, ये वो लोग है जो शहर के लोगों के साथ ये हमेशा आंख मिचौली खेलते कभी ये “स्पाइसी बाइट” कि डिनर टेबल पर पकड़े जाते तो कभी “सिटी कार्ट” में शॉपिंग करते, कभी संकटमोचन की उन चाट की टपरी पर नज़र आते तो कभी विष्णुप्रिया कि डोज कि टेबल पर।दोस्तों में भाभी “श्रेया” मशहूर सी थी।
सबकुछ अच्छा चल रहा था। दोनों १८ की उम्र में एक दूसरे के हमनवा बन चुके थे , साथ जीने मारने कि कसमें कहा कि थी ५ साल यु ही गुजर गए । अब वक़्त का उम्र का वो पड़ाव आया जब मुझे, आपको, हम सबको अपने घरों से बाहर निकलना पड़ता है खुद की तलाश करनी पड़ती है खुद का वजूद बनाना पड़ता है।

संकेत को भी अब इस बात का अहसास हो चुका था , शुरुआत में उसे अपनी पिता जी की गिफ्ट कार्नर की शॉप बिल्कुल भी पसंद नहीं थी मगर श्रेया की एक झलक पाने को रोज़ शाम दुकान जाने वाले संकेत को अब उस दुकान से भी मोहब्बत सी हो गई थी। अब संकेत ने अच्छी नौकरी की तालाश के साथ पिता जी की दुकान पर पर उनकी मदद करने का फैसला लिया।
अब जब शाम में संकेत दुकान से लौटता तो श्रेया अपनी टाइप राइटिंग कि क्लास को का चुकी होती , अब उनके पास एक दूसरे के लिए वक़्त ही नहीं था अब कभी गुस्से में तो कभी नाराज़गी में तो कभी ये सोच कर कि उसने मुझसे क्या बताया; दोनों आपस में ही बातें छुपाने लगी थे ।
अब दोनों में बातें काम झगड़े ज्यादा होते कोई किसी को समझने को ही तैयार नहीं था। जनवरी ठंड की एक देर शाम संकेत के बचपन के दोस्त का कॉल आया , फोन उठाते ही हेल्लो के साथ उसने कहा “और भाई भाभी तो पक्केघाट कि सीढ़ियों पर किसी ओर के साथ बैठी है।”
Kya Bharosa Bikhar Gaya ?

इतना सुनना था कि संकेत कि भरोसे की नाव थोड़ी डगमगाई उसे लगा शायद वक़्त ना दे पाने की वजह से श्रेया अब उससे दूर जा रही है। उसने श्रेया को बिना बताए बिना जताए उससे दूर जाने का फैसला किया , हां अब उसमें श्रेया के हर कॉल ओर मेसेजेस को इग्नोर करना शुरू किया श्रेया जो अपने पहले प्यार के बदल जाने के ओर वक़्त ना दे पाने के गम से बाहर नहीं आती थी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ आखिर हो क्या रहा।
साल 2020 का ग्रहण
साल २०२० जैसे मेरे , आपकी जिंदगी में कुछ अजीब है ठीक वैसे ही इन दोनों की जिंदगी में भी कोरोना वायरास से भी खतरनाक भरोसे के टूटने के वायरस आ रहे थे । दिन बीतते रहे दिनों के गुजरते ही महीनों में करवाएं ले ली , आज लॉकडॉउन के १० दिन गुज़र चुके थे, संकेत ओर श्रेया दोनों एक दूसरे को मिस कर रहे थे। इन दिनों संकेत ने फुरसत से अपने दोस्त को कॉल किया और पूछा “भाई वो तेरी भाभी उस दिन घाट पर किस लड़के के साथ बैठी थी ?
इतना सुनना था कि संकेत का दोस्त ज़ोर के ठहाके लगाए बोला “और तुमने मान भी लिया” संकेत को अब कुछ भी समझ ही नहीं आ रहा था ।तो मेरे प्यारे दोस्तों अगर आप भी किसी पर यकीन करते है तो आंखें मूंद कर ना करे, संकेत ने कुछ भी ग़लत नहीं किया था, उसने बस अपने दोस्त पर भरोसा किया वो दोस्त जो शायद ये बात नहीं जानता था कि उसके एक छोटे से मज़ाक से ऐसा भी हो सकता है..!!!
तो अगर आपको मेरी कहानी अच्छी लगी हो तो मुझे बताना ना भूले, तो क्या संकेत श्रेया से माफ़ी मांग पाएगा और क्या श्रेया संकेत को माफ़ कर पाएगी जानने के लिए मेरी अगली कहानी तक मेरे साथ बने रहे, धन्यवाद।
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