Ojhala Pul Mirzapur – ओझला पुल मिर्ज़ापुर के सबसे खूबसूरत धरोहरों में से एक है, पवित्र व प्राचीन ओझला नदी पर बना यह पुल मिर्ज़ापुर नगर को माँ विंध्यवासिनी मंदिर से सीधा जोड़ने का कार्य करता है । यह मिर्ज़ापुर के परिवहन का मुख्य स्त्रोत है

Ojhala River – ओझला नदी
पवित्र पुण्यजला नदी अथवा ओझला नदी के बारे में कहा जाता है कि यह अत्यंत पावन नदी है। इसमें दान करने से मनुष्य अनेक पापों से मुक्त हो जाता है, यह नदी Ojhala Pul Mirzapur के पास आकर गंगा नदी में विलीन हो जाती है..!

ओझला पुल का निर्माण

Ojhala Pul Mirzapur का निर्माण ओझला नदी पर किया गया है, महंत परशुराम गिरि द्वारा ओझला पुल का निर्माण वर्ष 1850 में कराया गया, उन्होंने अपने एक दिन के रुई कारोबार की आय से इसका निर्माण कार्य सम्पन्न कराया था । इस पुल के गर्भ गृह में कई कक्ष बने हुए हैं, जिनमें प्राचीन काल में यात्री आराम फरमाया करते थे । किसी समय यह व्यापारियों के लिए स्वर्ग कहा जाता था, यह वास्तुकला का सुंदर नमूना है । इस पुल का निर्माण कार्य मिर्ज़ापुर के प्रस्तर कला में माहिर कुशल कारीगरों द्वारा महीन नक्काशी के साथ किया गया है ।
यह भी पढ़े – मिर्ज़ापुर की धड़कन घंटाघर
Ojhala Pul Mirzapur – व्यापारियों के लिए स्वर्ग
Ojhala Pul का सबसे अधिक लाभ व्यपारियो को होता था, मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश समेत भारतवर्ष का मुख्य व्यापार केंद्र हुआ करता था, रुई, पीतल, कालीन, सीमेंट आदि के व्यापारी मिर्ज़ापुर में व्यापार के कारण आये दिन आया करते थे, उनके लिए यह पुल वरदान साबित हुआ था और उन्हें बेहद सुलभता होती थी,
ओझला पुल के गर्भगृह में व्यापारियों के विश्राम करने की उत्तम व्यवस्था बनाई गयी थी, जिससे थके हारे व्यापारी यहाँ ठहरकर कुछ देर विश्राम करते थे और ओझला नदी व माँ गंगा का दर्शन करके एक नई ऊर्जा के साथ अपने गंतव्य स्थान की ओर चल पड़ते थे ।
Symbol of Mirzapuri Culture – मिर्जापुरी संस्कृति का प्रतीक

मिर्ज़ापुर को दो भागों में विभक्त करने वाली ओझला (पुण्यजला) नदी के दोनों पाटों ने मिर्ज़ापुर की संस्कृति को पल पल विकसित होते देखा है। ओझला पुल से जो भी राहगीर गुजरता है वो थोड़ी देर रुककर इसकी सुंदरता को जरूर निहारता है और एकाक सेल्फी फ़ोटो तो हो ही जाती है । ओझला नदी पे कजरी व नागपंचमी के शुभ अवसर पे कई सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन बड़ी धूम धाम से कराया जाता है
यह भी पढ़े – हर Mirzapuri नौजवान को अपने जीवन में 5 चीज़ों का बेसब्री से इंतज़ार रहता है
कजरी निषाद मेला – Kajari Nishad Mela
कजरी निषाद मेला सैकड़ों वर्ष पुराना है। यह मेला कजरी के दिन से प्रारम्भ होकर तीन दिनों तक चलता है। तीन दिनों में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।
गोताखोरी प्रतियोगिता
Ojhala Pul Mirzapur कजरी निषाद मेला में आयोजित गोताखोरी प्रतियोगिता एक अनोखा खेल है, जिसके ज़रिए युवाओं को गोताखोरी हेतु निपुण होने का अभ्यास कराया जाता है। ये प्रतियोगिता “लोटा गोताखोरी प्रतियोगिता” के नाम से जानी जाती है। इस प्रतियोगिता में ओझला नदी में सभी प्रतियोगी युवाओं के बीच लोटा नदी में डुबो दिया जाता है, फिर सभी प्रतियोगियों में जो उसे खोज कर लाता है, उसे विजेता घोषित किया जाता है।

दंगल – Dangal/Kushti

पूर्वांचल में दंगल का एक अलग ही महत्व है, ओझला नदी पे नागपंचमी के अवसर पे दंगल का भव्य आयोजन कराया जाता है, जिसमे मिर्ज़ापुर जनपद व आस पास के जनपदों के बड़े बड़े पहलवान प्रतिभाग करते है और इनाम व नाम के लिए दंगल लड़ते है । यहां 5 हज़ार से लेकर लाख लाख रुपये तक की दंगल लड़ी जाती है ।
यह भी पढ़े – मिर्ज़ापुर की शान पक्काघाट
Boat Race at Ojhala Pul Mirzapur – नौका दौड़

ओझला नदी में नौका चालको के मध्य रेस का आयोजन कराया जाता है जिसको देखने के किये दूर दूर से लोग आते है, Ojhala Pul Mirzapur के नौका रेस में दूर दूर के नौका चालक भाग लेने हर वर्ष आते है .
सांस्कृतिक गीतों के साथ इन प्रतियोगिताओं का आयोजन यहाँ प्रतिवर्ष कराया जाता है
ओझला पुल मिर्ज़ापुर के सबसे प्राचीन धरोहरों में से एक है…
More Stories
घंटाघर मिर्ज़ापुर – Ghantaghar Mirzapur
Pakkaghat Mirzapur – पक्काघाट मिर्ज़ापुर