![history of mirzapur](/wp-content/uploads/2020/05/92554596_2866636226783401_8701660250580713472_o.jpg)
History of Mirzapur – मिर्ज़ापुर ये सिर्फ शहर नही जज्बात है मेरे दोस्त, जहाँ अपने पन का मिठास कण कण में बसा है । प्राकृतिक व पर्यटक स्थलों की दृष्टि से उत्तरप्रदेश का सबसे रईस शहर माना जा सकता है मिर्ज़ापुर को ।
बनारस व प्रयागराज के मध्य बसे इस शहर के खूबसूरती यहाँ के जल प्रपातों, झरनों व पहाड़ो में खूब झलकती है । आदिशक्ति जगत जननी माँ विंध्यवासिनी का यह धाम सैकड़ो वर्षो से अस्तित्व में है किंतु सरकारी दस्तावेजो में इसका नाम ‘मिर्ज़ापुर’ 18वी शताब्दी से प्रचलन में है । जिसका नामकरण एक अंग्रेज़ी अफसर लार्ड मर्क्यूरियस वेलेस्ले ने 1735 में किया था ।
अंग्रेज़ो को भी विंध्यधाम की सुंदरता काफी पसन्द आ गयी थी, ब्रिटिश काल में मिर्ज़ापुर भारत का मुख्य आकर्षण व कारोबार के दृष्टि से भी मुख्य केंद्र था ।
मिर्ज़ापुर में आप सभी चीज़ों का भरपूर आनंद उठा सकते है यहाँ के जैसा आपसी प्रेम आपको कही और शायद ही मिले ।
सुबह कचौरी जलेबी से लेकर शाम के लस्सी तक यहाँ आप पूरे दिन एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते है । सुबह विंध्य पर्वत के हरी भरी वादियो से लेकर पक्काघाट के सुहानी व ठंडी शाम आपको मिर्ज़ापुर के और करीब ला देगी,
ये शहर आपको कभी पराया नही लग सकता, आप शायद मिर्ज़ापुर को छोड़ सकते है लेकिन यहाँ का रंग आपसे जीवन भर नही उतर पायेगा ये उम्र भर आपके साथ रंगा रहेगा, इसीलिए कहते है यह सिर्फ शहर नही जज्बात है
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मिर्जापुर का साहित्यिक इतिहास – Mirzapur Sahitya