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मिर्जापुर का साहित्यिक इतिहास – Mirzapur Sahitya

मिर्जापुर अनेक प्रसिद्ध साहित्यकारों की कर्मस्थली रही है। यहाँ से महादेव प्रसाद सेठ द्वारा मतवाला, कुशवाहा कान्त द्वारा चिनगारी, प्रताप विद्यालंकार द्वारा अभियान, योगेन्द्र श्रीवास्तव द्वारा जयमाला आदि प्रसिद्ध साहित्य का प्रकाशन हुआ। इसके अलावा डॉ. काशी प्रसाद जायसवाल, चौधरी, प्रेमघन, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, पाण्डेय बेचन शर्मा उग्र, भगवान दास आदि साहित्यकारों ने लेखन क्षेत्र में विशिष्ट योगदान दिया है।

मिर्ज़ापुर में पत्रिका की शुरुवात

Mirzapur में पत्रकारिता की शुरूआत 1875 ई0 में आर्य पत्रिका से हुई खिचरी समाचार की भूमिका स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण रही है।

मिर्ज़ापुर से जुड़े हिंदी के प्रसिद्द साहित्यकार

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आनंद कादम्बिनी – जुलाई 1881 से मीरजापुर से बदरीनारायण चौधरी ‘ प्रेमघन ‘ द्वारा सम्पादित
इस पत्रिका ने सर्वप्रथम पुस्तक समीक्षा स्तम्भ का प्रकाशन
प्रारम्भ किया । यह 1881 से 1941 तक निकलती रही ।

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मिर्जापुर को इस बात का गौरव हासिल है कि यह नगरी निराला के कर्म-स्थली रही है । अंग्रेजों के खिलाफ महामन्त्र फूंकने का काम निराला ने इसी विंध्यक्षेत्र से किया । निराला जी ने इस नगर के गऊघाट निवासी महादेव प्रसाद सेठ द्वारा प्रकाशित ‘मतवाला’ साप्ताहिक पत्र में बतौर सम्पादक कार्य करते हुए हिंदी साहित्य को समृद्ध तो किया ही, साथ अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की ज्योति भी जलाई ।

बेचन शर्मा उग्र mirzapur

पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र‘ का जन्म उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले की चुनार तहसील में हुआ था। इसी तहसील में एक मोहल्ला है, ‘सद्दूपुर’। इसी ‘सद्दूपुर’ में एक गली थी, ‘बँभन-टोली’ – यहीं 29 दिसंबर, 1900 को पांडेय बेचन का जन्म हुआ था। आपके पिताजी का नाम बैजनाथ पांडे व माताजी का नाम जयकली था।

  • भगवान दास जायसवाल ने सन 1907 में मिर्जापुर से अंग्रेज़ी मासिक पत्रिका ‘पोएट’ का संपादन प्रकाशन किया। जिसका सलाना मूल्य डेढ़ रुपया था ।
  • आचार्य शिवव्रत लाल ने हिंदी मासिक पत्रिका ‘सन्त’ का सम्पादन प्रकाशन किया।
मतवाला पत्रिका mirzapur

मिर्ज़ापुर के गऊघाट निवासी महादेव प्रसाद सेठ द्वारा प्रकाशित ‘मतवाला’ साप्ताहिक पत्र जिसने देश में क्रांति की ज्वाला फुकने का बखूबी काम किया यह पत्रिका सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ आदि महान लेखको के लिए वरदान साबित हुई . निराला जी ने अपनी अनामिका पुस्तक में महादेव प्रसाद सेठ जी की तारीफे बखूबी की है . ” यदि सेठ ना होता तो निराला ना आता “

मिर्ज़ापुर साहित्यिक रूप से धनी स्थानों में से एक रहा है जहा से भारत के अनेक लोकप्रिय पत्रिकाओ का सफल संपादन किया गया है

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